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नेताजी कहिन

अदालत लगी हुई है, वकील तर्क पे तर्क दे रहा है।  "जनाब लड़की, लड़के के साथ कभी रही नहीं बल्कि लड़के की मृत्यु भी लड़की के टार्चर के कारण हुई।" जज साहब कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं ,"जो भी है लड़की कानूनी रूप से पत्नी है तो बीमा के पैसे की हक़दार है।"आप सोच रहे होंगे यह अदालत का फैसला नहीं ,गुंडई है। एक और अदालत देश के किसी और कोने में लगी है।  वकील साहब तर्क दे रहे हैं "जनाब लड़की लड़के के साथ पिछले दो साल से रह रही थी अब कहती है बलात्कार है, लड़के को ज़मानत दी जाये वह सहयोग को तैयार है। जज साहब को समझ में आता है या नहीं कह नहीं सकते, "देखिये जो भी है बलात्कार  तो है, मेडिकल रिपोर्ट कहती है इसलिए जेल तो जाना होगा। "आप फिर सोचते हैं, यह अदालत नहीं अदावत है। देश के किसी तीसरे कोने में अदालत लगी है।  वकील फिर तर्क देता है, "जनाब बलात्कार के झूठे केस के कारण बिचारे ने आत्महत्या की और इस महिला को सिर्फ चार वर्ष की सज़ा"? जज साहब पूरे आत्मविश्वास से "महिला है, अकेली है, हो गयी गलती, सजा दे तो रहे हैं अब और क्या चाहिए!" इस गुंडई पर आप माथा